लोन ग्रोथ के लिए बैंकों को 2020-21 तक 50000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त पूंजीकरण की जरूरत

देश के बैंकों को लोन ग्रोथ और एनपीए से उबरने के लिए अगले वित्त वर्ष (2020-21) तक 50,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत है। रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को ये आउटलुक जारी किया। फिच का कहना है कि रिकवरी में कमी और प्रोविजनिंग में इजाफे से जूझ रहे बैंकिंग सेक्टर के लिए अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। एजेंसी ने भारतीय बैंकों के लिए निगेटिव आउटलुक बरकरार रखा है।


फिच का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार बैंकों को जो पूंजी देगी वह रेग्युलेटरी जरूरतें पूरी करने, प्रोविजनिंग और 10 सरकारी बैंकों के मर्जर का खर्च वहन करने में ही चली जाएगी। नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों, रिएल एस्टेट और एसएमई की दिक्कतों का समाधान नहीं हुआ तो एनपीए रेश्यो में सुधार जारी रखना मुश्किल होगा। बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर भी दबाव रह सकता है, क्योंकि फ्लोटिंग रेट वाले लोन बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने का दबाव है।


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